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Vicky Kaushal in Raazi: जब एक पाकिस्तानी अफसर बन गया भारत के दर्शकों का हीरो

राज़ी में विक्की कौशल का किरदार – जब एक पाकिस्तानी अफसर बना भारत का सबसे इमोशनल चेहरा

विक्की कौशल की एक्टिंग को लेकर अगर किसी फिल्म ने चुपचाप उनका ग्राफ ऊपर किया, तो वो थी – राज़ी (2018)।
सबकी नज़रें आलिया भट्ट पर थीं, लेकिन विक्की कौशल का किरदार, मेजर इक़बाल सैयद, उस फिल्म की सबसे शांत लेकिन गहरी परत थी।


 कौन था इक़बाल सैयद?

इक़बाल सैयद एक पाकिस्तानी मिलिट्री अफसर था जो कश्मीर से आई एक लड़की सहमत से शादी करता है।
उसे नहीं पता कि उसकी बीवी एक इंडियन RAW एजेंट है।

"इक़बाल सिर्फ एक सैनिक नहीं था, वो एक ऐसा इंसान था जिसे अपने मुल्क से प्यार था, लेकिन प्यार को भी समझता था।"

विक्की ने इस किरदार को न ही विलेन बनाया, न ही ट्रैजेडी का शिकार। वो परिपक्व, शालीन, और संवेदनशील इंसान बनकर सामने आए।


 विक्की कौशल की परफॉर्मेंस: कम शब्द, ज्यादा असर

  • उन्होंने डायलॉग्स से नहीं, बल्कि आँखों से एक्टिंग की।

  • जब इक़बाल को सहमत की सच्चाई पता चलती है, वो टूटता है — मगर चिल्लाता नहीं, लड़ता नहीं।

एक सीन है जब वो कहता है:

“तुमने मुझे इस्तेमाल किया... पर फिर भी मैं तुम्हें कोस नहीं पा रहा।”
यही वो क्षण था जब दर्शक समझ गए कि ये सिर्फ जासूसी फिल्म नहीं, एक इमोशनल वॉर स्टोरी भी है।


 राज़ी की कहानी के पीछे की सच्चाई

फिल्म हरिंदर सिक्का की किताब Calling Sehmat पर आधारित है, जो एक सच्ची कहानी है।
उस वक्त की एक कश्मीरी लड़की, अपने पिता के कहने पर पाकिस्तान में जासूसी करती है और भारत को 1971 वॉर से पहले बड़ी जीत दिलाती है।

इस कहानी में असली सहमत तो इंडिया लौटी, लेकिन इक़बाल की असल पहचान इतिहास में खो गई।


 फिल्म के कुछ अनदेखे पहलू:

 #1: विक्की कौशल ने रोल के लिए सेना के डेली रूटीन को फॉलो किया

– शूटिंग से पहले वे हर दिन सुबह 5 बजे उठते थे और सादा खाना खाते थे, ताकि बॉडी लैंग्वेज में सैन्य अनुशासन दिखे।

 #2: विक्की ने खुद कुछ सीन रिजेक्ट किए

– उन्होंने डायरेक्टर मेघना गुलज़ार से कहा कि "इक़बाल अगर शालीन है, तो वो कभी सीन में गुस्से से चीज़ें नहीं तोड़ेगा।"

 #3: फिल्म के एक भी सीन में इक़बाल और सहमत का कोई intimate scene नहीं है

– यह फिल्म के संस्कार और restraint को दिखाता है।


 राज़ी और उरी: दो विपरीत किरदार, एक एक्टर

  • राज़ी में विक्की पाकिस्तानी अफसर हैं

  • उरी में वही विक्की इंडियन पैरा-कमांडो बनते हैं

दोनों फिल्मों में:

  • एक तरफ विश्वास था, दूसरी तरफ देशभक्ति।

  • दोनों में उन्होंने अपने किरदारों को रियल और नाटकीयता से मुक्त रखा।

दोनों रोल्स में सिर्फ एक ही कॉमन चीज़ थी — "Understatement"
विक्की ज़ोर से नहीं बोले — और फिर भी सब सुनते रहे।


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👉 उरी फिल्म में विक्की कौशल को क्यों लगा था कि वो ये रोल नहीं कर पाएंगे?


 निष्कर्ष:

राज़ी में विक्की कौशल का किरदार भले ही सेकेंडरी था, लेकिन फिल्म की रीढ़ वही था।
उन्होंने दिखाया कि एक सैनिक सिर्फ वर्दी नहीं पहनता — वो इंसान भी होता है, जिसकी दिल और दर्द दोनों होते हैं।


 आपके विचार?

आपको क्या लगता है, विक्की कौशल को इस फिल्म के लिए भी कोई अवॉर्ड मिलना चाहिए था?
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